काफी दिनों के अंतराल के बाद हाजिर हूं आपके आशीर्वाद के लिए
हर्षिता
सपनों सी लगने वाली जिंदगी आज बेकार नज़र आ रही है।
हकीकत क्या बयां करूं जिंदगी चवन्नी सी नज़र आ रही है।
चलो कल मिले ना मिले आज तो नज़र आ रही है
प्रेम कहते हैं उल्लफत के फ़शाने मैं कहती कांटे् ही तो जिंदगी है।
जिंदगी जैसी मानो वैसी है ... फूल भी कांटे भी ...
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है लंबे अंतराल के बाद ...
धन्यवाद दिगम्बर जी
जवाब देंहटाएंलंबे अंतराल के बाद आपका स्वागत है
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