मेरा छोटा प्रयास यदि बाघ बचावो अभियान में योगदान दे सकता है तो मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी,क्योंकि यह हम सभी का कर्त्तब्य भी है कि इस धरा के सौन्दर्य को कभी न मिटाएं।
हम तुम
एक ही माल्लिक के बंदे
फिर क्यू हैं ये दुरियां
हमने तो नहीं बिगा़डा़
संतुलन इस धरा का
फिर क्यू नहीं
जीने देते हमें।
तुम हो विवेकशील पशु
हम हैं नृशंस पशु
बन बैठे धरा के नियंता
धन-लोलुपता की आड़ में
लूट लिए वनस्थलियां
बेघर कर डाला।
क्या हम चूं भी न करें
निकाल अपने खूनी पंजे
किया घात पर आघात
बन गए आदमखोर।
हम भी कभी थे
देश की आन, बान और शान
तुमने मिटाई हस्ती हमारी
हरितिम झिलमिल चादर को
किया तार-तार
शहंशा थे, हम
अपने जहां के
नृशंस पशु तुम
बन बैठे बाघखोर
कुछ ही तो
बचे हैं हम
बस भी करो
अब तो
जीने दो हमें।