सूरज से किरणें
चांद से चांदनी
बादल से पानी
सागर से लहरें
सीप से मोती
दीपक से ज्योति
पत्तों से ओस की बूदें
फूलों से खुशबू
प्यार से चाहत
ओठों से मुस्कान
जीवन से आनंद
प्रिय ब्लॉगरों के लिए
लाई मैं यह खुबसूरत
नज़राना बोलों
चांद से चांदनी
बादल से पानी
सागर से लहरें
सीप से मोती
दीपक से ज्योति
पत्तों से ओस की बूदें
फूलों से खुशबू
प्यार से चाहत
ओठों से मुस्कान
जीवन से आनंद
प्रिय ब्लॉगरों के लिए
लाई मैं यह खुबसूरत
नज़राना बोलों
स्वीकार करोंगे।
स्वीकार तो अवश्य किया जाएगा -
जवाब देंहटाएंहर्षिता से हर्ष!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
vaah jee kyon nahee sveekaar karenge ? dil me sajaa kar rakh liyaa hai shubhakaamanaayen maafee caahatee hoon mai akasar hindee me hee tippani detee hoon magar cafe hindi band kar cuki thi dobara comp. band kar ke chalana padegaa is liye mafi chahatee hoon
जवाब देंहटाएंAppka nazrana swikaar kar liya hai.Shubhkamnay
जवाब देंहटाएंऐसा नज़राना कौन स्वीकार करना नहीं चाहेगा. मुझे तो स्वीकार है.
जवाब देंहटाएंइन ख़ूबसूरत नज़रानओं को कौन अस्वीकार करेगा?
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल ... इतना मधुर तोहफा कौन ठुकराएगा ... बहुत सुंदर लिखा है ...
जवाब देंहटाएंMaaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
जवाब देंहटाएंbahut hi khubsurat rachnaa...
जवाब देंहटाएंआप सभी बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवाकई बेहद खूसूरत नजराना है.
जवाब देंहटाएं...आभार.
Itna pyara nazrana kaun asweekar karega?
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachana hai!
खुबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंआभार
आप सभी का बहुत धन्यवाद। आपके सुझाव हमारी प्रेरणा हैं।
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