गुरुवार, 8 जुलाई 2010

चटकती धूप



सुबह की धूप आज कितनी खिली है
कई दिनों बाद
मानों सूरज की किरणें बुहार रही
धरती के हरीतिम आंचल को।

स्वच्छ,निर्मल,स्वछंद विचरण कर रही
ताल तलैया, नहर नदी, खेत खलिहान
पहाड़ पठार ,सागर समुन्दर,नभ और गगन
चहुंओर बांह फैलाएं चटकती धूप लहराएं अपने आंचल को।

पीत हरित रंगों में समा गई धरा
अपलक निहार रही मैं अनुपम,अलौकिक,अद्भुत प्रकृतिक सौन्दर्य को
चौंधिया गई आंखें,खिल गई अविस्मृत मुस्कान ओठों पर
खो गई आनन्द परमानन्द के संयोजन में और
चमक उठती हैं आंखें जैसे हरी घास को देखकर गाय की।

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..चटकती खिली धूप की...और गाय की चमकती आँखों का अद्भुत प्रयोग ..

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  2. चहुंओर बांह फैलाएं चटकती धूप लहराएं अपने आंचल को।

    वाह ! बहुत सुन्दर !

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  3. बरसात के बाद खिली चटक धूप का एहसास है यह कविता ..
    चमक उठी आँखें जैसे हरी घास को देख कर गाय की ..

    सुन्दर !

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  4. रचना बहुत ही प्रभावित करने वाली है।

    मगर मैं आपकी इस गाय से थोडा सा कुट्टी टाईप का हूं , बताईये भला जब उसकी आंखों में इत्ती चमक आ गई थी तो फ़िर ये सरकार रोज दूध के दामों में इतनी बढोत्तरी क्यों कर रही है ?हा हा हा

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  5. आपके कवि मन में अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य के गुह्यतम राज़ को समझने की एक ईमानदार ललक प्रतीत होती है।

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  6. मै सिर्फ ख़ामोशी से पढ़ सकता हूँ ये कविता,एक एक शब्द पहली बरसात में उठती मिटटी की खुशबु से सराबोर करते हुए अपने पास बुला रहे हैं ,में बीते कल की ओर लौट रहा हूँ गनीमत है जमीन वही हैं जहाँ वो कल थी ,नदी और पहाड़ मुझे देखकर मुस्कुरा रहे हैं ,अब अजनबी चेहरे उन्हें पसंद नहीं आते |

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  7. आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं तथा आपके आशिर्वाद स्वरूप आपकी टिप्पणियां मेरा मनोबल बढाती हैं साथ ही लिखने की प्रेरणा भी देती है। धन्यवाद आप सभी का।

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  8. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. Khili huyi dhoop ko anjuri mein bhar ... bahut sundar saakaar kiya hai kalpana ko ... ati sundar ...

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  10. धन्यवाद नासवा जी इतनी सुन्दर टिप्पणी के लिए।

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  11. Bahut sundar likha hain...winters mein dhoop sevan mein maza aata hai.

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  12. धन्यवाद दिव्या जी पर अभी बारिश का मौसम है।

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  13. शानूजी,अग्निमैन,अग्नि जी का बहुत ही धन्यवाद आपकी टिप्पणी एवं पहली बार मेरे ब्लाग पर आने के लिए तथा उम्मीद है कि ये सिलसिला आगे भी यूं ही बना रहेगा।

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  14. हरी घास और गाय का बिम्ब अच्छा है

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