सोमवार, 19 जुलाई 2010

मुझको प्यार है तुमसे




ऐ ज़िन्दगी मुझको प्यार है तुमसे
पल पल बीतती ज़िन्दगी,
हर पल नित नूतन रूप दिखाती
खटे-मीठे अनुभव दे जाती
अपने - पराएं का बोध कराती।



रूकना ,चलना, गिरना
फिर उठ कर चलना सिखलाती
रात-दिन, फिर रात के बाद
दिन का आनंद दिलाती ।



जीवन पथ के टेढे़-मेढे,पथरीले,
कंटक भरी राहों से गुजर कर
मंजिल तक पहुंचना, सबक़ सिखलाती।



रहगुज़र में रहबर बन जाती है
बिछा देती फूलों को कदमों तले
फिर लगा लेती गले
ऐ ज़िन्दगी मुझको प्यार है तुमसे।



मौत से प्यार करना सिखलाती
तू कितनी ज़िन्दादिल है ज़िन्दगी
इश्क से खुदा को मिलाती है ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी, हां मुझको प्यार है तुमसे।

22 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी से प्यार हो तो जिन्दगी खुशगवार हो जाती है
    सुन्दर रचना

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  2. मौत से प्यार करना सिखलाती
    तू कितनी ज़िन्दादिल है ज़िन्दगी
    इश्क से खुदा को मिलाती है ज़िन्दगी
    ऐ ज़िन्दगी, हां मुझको प्यार है तुमसे।
    सभी परिस्थितियों में सन्‍तुलन बनाये रखना प्रसन्‍नता की चाबी है।

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  3. ज़िंदगी के सरोकारो के संघर्ष को नए अर्थों में बयान करने की कोशिश

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  4. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ ही एक सशक्त सन्देश भी है इस रचना में।

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  6. जीवन कितना भी गया गुज़रा क्यूँ न हो, मौत से बेहतर है ... ये मैं नहीं कह रहा हूँ ... पूरी दुनिया कहती है ...
    सुन्दर रचना !

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  7. सुंदर चित्र .. सुंदर आशा वादी रचना .....

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  8. saadhnaa bahn aapke bare men kyaa raay dun aap to khud roy he aapki zindgi jin alfaazon men lipti he qaabile taarif he khub behtrin likhne ke liyen bhaayi. akhtar khan akela kota rajsthan

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  9. आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं तथा आगे भी आपका साथ मिलता रहे,धन्यवाद।

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  10. अपने - पराएं का बोध कराती।
    सुन्दर रचना !

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  11. बहुत बढ़िया...आपकी कविता जिंदगी से प्यार करना सिखाती है

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  12. saadhana ji
    meri dil se badhayi
    itni sundar kavita aapne likhi hai ki kya kahe , zindagi ke saare rang aapki kavita me khil uthe hai.. badhayi ji

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  13. मर्मस्पर्शी रचना बधाई स्वीकारें। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  14. बेहद खूबसूरत!
    मूंह की बात छीन ली हो जैसे!
    बधाई हो!

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  15. विजय जी,लखनवी जी,आशीष जी एवं रचना दीक्षित जी आप सभी का बहुत ही धन्यवाद।

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