सुख क्या है
क्षणिक अनुभूति
आनंद
राहत
सफलता
पूर्णता
खूशी
शान्ति या फिर
पूर्णता का इनाम
या फिर
चाह की पूर्ति
आकांक्षा की तृप्ति
महत्वकांक्षा पर विजय
इच्छाओं का शमन
दुख की पहचान ही
सुख है।
प्यार के बाद सुखवाह ”महत्वकांक्षा पर विजयइच्छाओं का शमनया फिरदुख की पहचान हीसुख है।”इसे भी देखिये http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
अपना अपना पैमाना है।
यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर शायद कोई ढूँढ नहीं पाया ...
I dnt knw........but a hungry man can describe it, after eating a chapati.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।राजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार मे आपका योगदान सराहनीय है।
are waah ...di aaj to kamal kar diya ..bahut hi sunder parastuti....
दुःख का विलोम है!एक तरह से सही कहा है आपने, दुःख की पहचान ही सुख है!ज़िंदगी में बहुत दुःख देखने के बाद................खूशी को ख़ुशी कर लीजिये!
गिरीश जी,मनोज जी ,इन्द्रनीलजी,विवेकजी,संजय जी,आशीषजी और हास्यफुहार एवं राजभाषा हिन्दी का बहुत ही शुक्रिया टिप्पणी देने के लिए।
बहुत गहरा सवाल है...सुख क्या है...शायद शांति है...जब शांति मिल जाए सुख स्वयं उसके साथ बंधा चला आता है...नीरज
Ab kya bataaye..Apna - apna nazriya hai.Vaise Ye post bahut achhi lagi.
नीरज जी,विरेन्द्रजी आपका बहुत धन्यवाद टिप्पणी देने के लिए।
सुख का अस्तित्व ही दुःख पर निर्भर है.
हेम पाण्डेय जी आपका धन्यवाद।
बहुत खूब ... सुख दुख से परे रहना ही सच्चा सुख है शायद ....
प्यार के बाद सुख
जवाब देंहटाएंवाह
”महत्वकांक्षा पर विजय
इच्छाओं का शमन
या फिर
दुख की पहचान ही
सुख है।”
इसे भी देखिये
http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
अपना अपना पैमाना है।
जवाब देंहटाएंयह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर शायद कोई ढूँढ नहीं पाया ...
जवाब देंहटाएंI dnt knw........but a hungry man can describe it, after eating a chapati.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार मे आपका योगदान सराहनीय है।
are waah ...di aaj to kamal kar diya ..
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder parastuti....
दुःख का विलोम है!
जवाब देंहटाएंएक तरह से सही कहा है आपने, दुःख की पहचान ही सुख है!
ज़िंदगी में बहुत दुःख देखने के बाद................
खूशी को ख़ुशी कर लीजिये!
गिरीश जी,मनोज जी ,इन्द्रनीलजी,विवेकजी,संजय जी,आशीषजी और हास्यफुहार एवं राजभाषा हिन्दी का बहुत ही शुक्रिया टिप्पणी देने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत गहरा सवाल है...सुख क्या है...शायद शांति है...जब शांति मिल जाए सुख स्वयं उसके साथ बंधा चला आता है...
जवाब देंहटाएंनीरज
Ab kya bataaye..Apna - apna nazriya hai.
जवाब देंहटाएंVaise Ye post bahut achhi lagi.
नीरज जी,विरेन्द्रजी आपका बहुत धन्यवाद टिप्पणी देने के लिए।
जवाब देंहटाएंसुख का अस्तित्व ही दुःख पर निर्भर है.
जवाब देंहटाएंहेम पाण्डेय जी आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... सुख दुख से परे रहना ही सच्चा सुख है शायद ....
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