प्रभू जी सुन लो अरज हमारी
तू ही रब्बा,तू ही मौला,तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
छाया घनघोर अंधियारा,सुझे न राह कोई
तू ही बता, जाऊं मैं कहां प्रभू जी
प्रभू जी................................।
बन दीपक बरसा रहमत, ओ मेरे मौला
सुन ले पुकार मुझ गरीब की, ओ गरीब नवाज़।
तू ही ईसा,तू ही मूसा, तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
तरस रही तेरे दरस को,अब तो आन मिलो प्रभू जी
तू ही श्याम, तू ही राम, तू ही पालनहार
प्रभू जी.........................................।
तेरे नूर में डूबा ऐ जग सारा, तेरे इश्क में रंगा ऐ तन मेरा
तू ही अल्ला, तू ही ख़ुदा, तू ही पालनहार
प्रभू जी..........................................।
लगन में झूमे तेरे , ऐ मन मस्त मेरा
आ तू भी झूम ले, ओ मेरे प्रभू जी।
तू ही रब्बा,तू ही मौला,तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
छाया घनघोर अंधियारा,सुझे न राह कोई
तू ही बता, जाऊं मैं कहां प्रभू जी
प्रभू जी................................।
बन दीपक बरसा रहमत, ओ मेरे मौला
सुन ले पुकार मुझ गरीब की, ओ गरीब नवाज़।
तू ही ईसा,तू ही मूसा, तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
तरस रही तेरे दरस को,अब तो आन मिलो प्रभू जी
तू ही श्याम, तू ही राम, तू ही पालनहार
प्रभू जी.........................................।
तेरे नूर में डूबा ऐ जग सारा, तेरे इश्क में रंगा ऐ तन मेरा
तू ही अल्ला, तू ही ख़ुदा, तू ही पालनहार
प्रभू जी..........................................।
लगन में झूमे तेरे , ऐ मन मस्त मेरा
आ तू भी झूम ले, ओ मेरे प्रभू जी।
वाह भक्ति का रंग समाया
जवाब देंहटाएंजग के स्रजनहार को मेरे कोटि-कोटि प्रणाम!
जवाब देंहटाएंis bhag daud bhari zindgi me iswar ka naam lena bhi jaroori hai......
जवाब देंहटाएंवाह .....Harshita didi जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!
जवाब देंहटाएंआईये जानें .... मैं कौन हूं!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
आप सभी का बहुत ही धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं...बहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंहमारा तन-मन प्रकृति का बना पुतला है। उससे प्रदत्त बैटरी जब क्षीण हो जाती है तो हम असहाय हो जाते हैं। तब स्वयं का प्रकृति के सम्मुख समर्पण करना होता शेष रह जाता है। यह क्रम आदि से सृष्टि में घटित होता रहा है, आगे भी ऐसा होता रहेगा। प्रकृति के सम्मुख समर्पण को ही कुछ मनीषियों ने भक्ति माना है। घबरायें नहीं। आपका कुछ अनिष्ट नहीं होगा। आत्मबल संभालें। आपकी भक्ति श्लाघनीय है।
जवाब देंहटाएं//////////////////////////////
Mere bhi shraddha suman....
जवाब देंहटाएंविविध भावनाओं पर लिखी आप की सभी कविताएं
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सुन्दर हैं । वास्तव में हमारे निजी भाव भावनाएं
ही कविता के माध्यम से परिलक्षित होते हैं ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
समर्पण भाव की प्रशंसनीय रचना ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रार्थना प्रभू चरणों में ... सुंदर भाव हैं ...
जवाब देंहटाएंजय हो... आपके इस नमन भाव को नमन..
जवाब देंहटाएंआप सभी के कमेन्ट मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है,आगे भी इसी तरह अपना स्नेह बनाए रखिएगा धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbht pyari.......bhagwan ke shri charno ki aur le jane wali prarthna......ek nayi aarti....
जवाब देंहटाएंnishthayein manushya ko shakti deti hain--usi shakti aur niaabhas shtha ka aabhas hua--
जवाब देंहटाएंहर्षिता इतनी सुंदर प्रार्थना ....??
जवाब देंहटाएंगाती भी हो .....??
sundar prastuti !!
जवाब देंहटाएंआप सभी का दिल से धन्यवाद।सॉरी मैं देहरादून गई थी आफिस के काम से।
जवाब देंहटाएंडिम्पल जी,सारस्वत जी,हरकीरत जी,एम.ए.शर्माजी आपका बहुत धन्यवाद।
हरकीरत जी थोडा बहुत गुनगुना लेती हूं बस।