गुरुवार, 3 जून 2010

प्रार्थना

प्रभू जी सुन लो अरज हमारी
तू ही रब्बा,तू ही मौला,तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
छाया घनघोर अंधियारा,सुझे न राह कोई
तू ही बता, जाऊं मैं कहां प्रभू जी
प्रभू जी................................।
बन दीपक बरसा रहमत, ओ मेरे मौला
सुन ले पुकार मुझ गरीब की, ओ गरीब नवाज़।
तू ही ईसा,तू ही मूसा, तू ही पालनहार
प्रभू जी........................................।
तरस रही तेरे दरस को,अब तो आन मिलो प्रभू जी
तू ही श्याम, तू ही राम, तू ही पालनहार
प्रभू जी.........................................।
तेरे नूर में डूबा ऐ जग सारा, तेरे इश्क में रंगा ऐ तन मेरा
तू ही अल्ला, तू ही ख़ुदा, तू ही पालनहार
प्रभू जी..........................................।
लगन में झूमे तेरे , ऐ मन मस्त मेरा
आ तू भी झूम ले, ओ मेरे प्रभू जी।

19 टिप्‍पणियां:

  1. जग के स्रजनहार को मेरे कोटि-कोटि प्रणाम!

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  2. वाह .....Harshita didi जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

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  3. आईये जानें .... मैं कौन हूं!

    आचार्य जी

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  4. आप सभी का बहुत ही धन्यवाद।

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  5. हमारा तन-मन प्रकृति का बना पुतला है। उससे प्रदत्त बैटरी जब क्षीण हो जाती है तो हम असहाय हो जाते हैं। तब स्वयं का प्रकृति के सम्मुख समर्पण करना होता शेष रह जाता है। यह क्रम आदि से सृष्टि में घटित होता रहा है, आगे भी ऐसा होता रहेगा। प्रकृति के सम्मुख समर्पण को ही कुछ मनीषियों ने भक्ति माना है। घबरायें नहीं। आपका कुछ अनिष्ट नहीं होगा। आत्मबल संभालें। आपकी भक्ति श्लाघनीय है।
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  6. विविध भावनाओं पर लिखी आप की सभी कविताएं
    अत्यन्त सुन्दर हैं । वास्तव में हमारे निजी भाव भावनाएं
    ही कविता के माध्यम से परिलक्षित होते हैं ।
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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  7. समर्पण भाव की प्रशंसनीय रचना ।

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  8. सुंदर प्रार्थना प्रभू चरणों में ... सुंदर भाव हैं ...

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  9. आप सभी के कमेन्ट मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है,आगे भी इसी तरह अपना स्नेह बनाए रखिएगा धन्यवाद।

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  10. bht pyari.......bhagwan ke shri charno ki aur le jane wali prarthna......ek nayi aarti....

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  11. nishthayein manushya ko shakti deti hain--usi shakti aur niaabhas shtha ka aabhas hua--

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  12. हर्षिता इतनी सुंदर प्रार्थना ....??
    गाती भी हो .....??

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  13. आप सभी का दिल से धन्यवाद।सॉरी मैं देहरादून गई थी आफिस के काम से।
    डिम्पल जी,सारस्वत जी,हरकीरत जी,एम.ए.शर्माजी आपका बहुत धन्यवाद।
    हरकीरत जी थोडा बहुत गुनगुना लेती हूं बस।

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