दर्द
जीवन ही दर्द,दर्द ही खुशबू
जीवन ही विकास,विकास ही मंजिल
हर तरफ ही कोलाहल, दर्द ही अपना
दर्द ही राह, दर्द ही पथिक
दर्द ही शाम, दर्द ही सबेरा
दर्द ही राहत, राहत ही सुकून
दर्द ही तड़प, दर्द ही मिलन
आनन्द ही दर्द, दर्द ही सत्य
जीवन ही दर्द,दर्द ही खुशबू
जीवन ही विकास,विकास ही मंजिल
हर तरफ ही कोलाहल, दर्द ही अपना
दर्द ही राह, दर्द ही पथिक
दर्द ही शाम, दर्द ही सबेरा
दर्द ही राहत, राहत ही सुकून
दर्द ही तड़प, दर्द ही मिलन
आनन्द ही दर्द, दर्द ही सत्य
सत्य ही सुन्दर, सुन्दर ही शिव।
रचना अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंकविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
जवाब देंहटाएंDard hi rahat dard hi sukun .Bahut Badia likha hai Apne.
जवाब देंहटाएंआप सबों का बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंदर्द और जीवन के रिश्ते को बहुत दार्शनिक अंदाज़ से परखा है अपने ......... बहुत सुंदर .........
जवाब देंहटाएंये दर्द ही ही जिन्दगी हैं मुझे लगता है दर्द के बिना जिन्दगी का मज़ा ही क्या है । सुन्दर रचना शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबढिया है.
जवाब देंहटाएंदर्द ही ही जिन्दगी हैं मुझे लगता है दर्द के बिना जिन्दगी का मज़ा ही क्या है । सुन्दर रचना शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.