मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

नन्हीं परी

आज घर आई एक नन्हीं परी,
काली,मोटी मासूम आंखों वाली।

चंपई रंगत लिए, काले घुघराले लटों वाली,
बादलों की ओट से झांकता चांद हो जैसे।

गुलाबी ओठों पर खिली हंसी सूरज की पहली,
किरण के स्पर्श से खिलता कमल हो जैसे।

नन्हें पद चापों से बज उठती हैं पैजनियां,
रून-झुन स्वर लहरी से हर्षित होता घर-आंगन।

आपना प्रतिबिम्ब निहारू,साकार हुआ सपना मेरा,
आज घर आई एक नन्हीं परी, महके जीवन मेरा।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपना प्रतिबिम्ब निहारू,साकार हुआ सपना मेरा,
    आज घर आई एक नन्हीं परी, महके जीवन मेरा।

    आने वाले भविष्य में अपना रूप ही नज़र आता है ..... खुशी के लम्हे नसीब वालों को मिलते हैं .... अच्छी रक्न्हा है बहुत ही ... ये जीवन की रीत है ......

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  2. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  3. बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता.

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