सोमवार, 29 मार्च 2010

गीत



मेरी दुनिया में आकर, मत जाओ।
क्या ख़ता हुई मुझसे मत जाओ।।

वो भी क्या दिन थे,जब हम मिले थे।
क़समें खाई हमने, न होंगे ज़ुदा कभी।।

डर लगता है कहीं, खो न दूं तुम्हें।
मेरी दुनिया में आकर, मत जाओ।।

ऐसा भी कभी होता, अपनों से रूठता है भला कोई।
जीवन के धूप-छाह में अक्सर ऐसे कई मोड़ आते हैं।।

इस जंग को भी जीत लेंगे हम।
हम तुम मिल रचेगे इतिहास नया।।

मेरी दुनिया में आकर, मत जाओ....।


11 टिप्‍पणियां:

  1. इस जंग को भी जीत लेंगे हम।
    हम तुम मिल रचेगे इतिहास नया।।
    damdaar parastuti...........

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  2. कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है ।

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  3. संजय जी एवं मनोज जी आपकी अच्छी प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद।

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  4. प्यारा गीत है..मजा आ गया पढ़कर.

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  5. इस जंग को भी जीत लेंगे हम।
    हम तुम मिल रचेगे इतिहास नया।।

    मेरी दुनिया में आकर, मत जाओ....

    साथ बना रहेगा तो हर जंग जीत लेंगे ... बहुत अच्छा लिखा है ...

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  6. जय श्री कृष्ण..आपको बधाई ....आपने बेहद खुबसूरत कवितायेँ लिखी हैं....मन को छू देने वाली....सरल और सहज.......और आपका आभार...बस इसी प्रकार अपनी दुआएं साथ रखियेगा.....हम और ज्यादा अच्छा और दिल से लिखने का प्रयास करते रहेंगे....!!!!
    ---डिम्पल

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  7. खूबसूरत गीत
    बधाईयां
    शेष शुभ
    आपका
    बकरा
    ह हा हा

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  8. आज दुबारा इसे पढा। गाने का मन करने लगा। अच्छा गीत।

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  9. गिरीश जी एवं मनोज जी आपका बहुत ही शुक्रिया।

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  10. सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में


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