शुक्रवार, 14 मई 2010

मेरा चांद


बादल से क्यूं झांकता है मेरा चांद।
आज फिर दिखा बन चौदहवी का चांद।।

कुमुदनी है आतुर तेरी चांदनी से मुकुलित होने को।
चकोर है तकता रहता तेरे दर्शन का रस पाने को।।

वो निर्मोही क्यों छिपता रहता बादलों की ओट में।
देखता रहता क्यूं मधुर मिलन को चांदनी रात में।।

चांदनी से निकला आज मेरा चांद बर्षों बाद।
उतरा ज़मीन पे, समा गई स्निग्ध चांदनी मुझमें।।

सुलझ गई, अनसुलझी लटे, जो उलझी थी मुझमें।
मकरन्द छिप गया कमल दल से अभिसार में।।

हुई चाहत पूरी स्वीकारा जो तुने प्रणय निवेदन।
पूरनमासी रात, मिलन को आना ओ मेरे चांद।।


25 टिप्‍पणियां:

  1. भाषाई तौर पर बेहद सशक्त रचना...सही संतुलन और मन मोहने वाली बात....बिल्कुल रेशमी लहज़ा....
    मस्त...

    आलोक साहिल

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  2. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  3. बहुत अच्छी कविता। सुंदर अभिव्यक्ति।

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  4. कुमुदनी है आतुर तेरी चांदनी से मुकुलित होने को।
    चकोर है तकता रहता तेरे दर्शन का रस पाने को।।

    वाह! कितने सुन्दर भाव, और एक मधुर सी रचना ! बहुत अच्छा लगा!

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  5. bahut hi behtareen rachna..
    yun hi likhte rahein........
    regards
    http://i555.blogspot.com/

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  6. चाँदनी पर उत्तम रचना । पूरनमासी का आमंत्रण लाजबाव ।

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  7. कविता की भावना उत्कृष्ट है
    एक चीज पता नहीं क्यों कुछ खल रही है कि दूसरे बंद में 'है''कुछ पहले लग गया है ,दो शब्दों के बाद लगता तो छटा कुछ और ही होती

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  8. आप सभी का बहुत ही दिल से धन्यवाद।
    अलका जी सही कहा आपने है दो शब्दों के बाद आता तो बेहत्तर होता धन्यवाद जी सही मार्गदर्शन हेतु पुनः आपका धन्यवाद ।

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  9. वाह आपने तो चाँद पर भी चार चाँद लगा दिए ....

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  10. वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  11. बादल से क्यूं झांकता है मेरा चांद।
    आज फिर दिखा बन चौदहवी का चांद।।
    .......मन में उमड़ते घुमड़ते अहसासों की सुन्दर प्रस्तुति हेतु धन्यवाद

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  12. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  13. पी.सिंह जी एवं हर्ष जी आपका बहुत धन्यवाद।

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  14. पी. के.सिंह जी आपका धन्यवाद,जो आपने अपनी टिप्पणी से मेरा मनोबल बढाया।

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  15. -----------------------------------
    mere blog par meri nayi kavita,
    हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
    jaroor aayein...
    aapki pratikriya ka intzaar rahega...
    regards..
    http://i555.blogspot.com/

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