बादल से क्यूं झांकता है मेरा चांद।
आज फिर दिखा बन चौदहवी का चांद।।
कुमुदनी है आतुर तेरी चांदनी से मुकुलित होने को।
चकोर है तकता रहता तेरे दर्शन का रस पाने को।।
वो निर्मोही क्यों छिपता रहता बादलों की ओट में।
देखता रहता क्यूं मधुर मिलन को चांदनी रात में।।
चांदनी से निकला आज मेरा चांद बर्षों बाद।
उतरा ज़मीन पे, समा गई स्निग्ध चांदनी मुझमें।।
सुलझ गई, अनसुलझी लटे, जो उलझी थी मुझमें।
मकरन्द छिप गया कमल दल से अभिसार में।।
हुई चाहत पूरी स्वीकारा जो तुने प्रणय निवेदन।
पूरनमासी रात, मिलन को आना ओ मेरे चांद।।
Harshita ji ! Bahut achhi rachna.
जवाब देंहटाएंभाषाई तौर पर बेहद सशक्त रचना...सही संतुलन और मन मोहने वाली बात....बिल्कुल रेशमी लहज़ा....
जवाब देंहटाएंमस्त...
आलोक साहिल
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता। सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकुमुदनी है आतुर तेरी चांदनी से मुकुलित होने को।
जवाब देंहटाएंचकोर है तकता रहता तेरे दर्शन का रस पाने को।।
वाह! कितने सुन्दर भाव, और एक मधुर सी रचना ! बहुत अच्छा लगा!
bahut hi behtareen rachna..
जवाब देंहटाएंyun hi likhte rahein........
regards
http://i555.blogspot.com/
उत्तम
जवाब देंहटाएंचाँद पर बहुत ही सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबधाई!
sunder abhivyakti. aap mere blog par aayi bahut bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंचाँदनी पर उत्तम रचना । पूरनमासी का आमंत्रण लाजबाव ।
जवाब देंहटाएंwah wah...
जवाब देंहटाएंachhi rachna....
BADHAI....
कविता की भावना उत्कृष्ट है
जवाब देंहटाएंएक चीज पता नहीं क्यों कुछ खल रही है कि दूसरे बंद में 'है''कुछ पहले लग गया है ,दो शब्दों के बाद लगता तो छटा कुछ और ही होती
आप सभी का बहुत ही दिल से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअलका जी सही कहा आपने है दो शब्दों के बाद आता तो बेहत्तर होता धन्यवाद जी सही मार्गदर्शन हेतु पुनः आपका धन्यवाद ।
achha prayas !badhai !
जवाब देंहटाएंवाह आपने तो चाँद पर भी चार चाँद लगा दिए ....
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबादल से क्यूं झांकता है मेरा चांद।
जवाब देंहटाएंआज फिर दिखा बन चौदहवी का चांद।।
.......मन में उमड़ते घुमड़ते अहसासों की सुन्दर प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita lagi. lekhan jaari rakhiye........
जवाब देंहटाएंपी.सिंह जी एवं हर्ष जी आपका बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut achha hai..dhanywad
जवाब देंहटाएंपी. के.सिंह जी आपका धन्यवाद,जो आपने अपनी टिप्पणी से मेरा मनोबल बढाया।
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जवाब देंहटाएंmere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
http://i555.blogspot.com/
जी जरूर शेखर जी धन्यवाद।
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