गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

इज़हार


हां प्यार है उनसे
जैसे
चांद को चादनी से
फूलों को खुशबू से
सागर को लहरों से
आसमां को तारों से
तितली को रंगों से
मीन को पानी से
सीप को मोती से
सावन को बादल से
हां प्यार है उनसे
ऐ हवा
ले जा
संदेशा मेरे प्यार का
ले आ
संदेशा उनके प्यार का
कह दे मैं हूं मीरा
मेरे श्याम की
राधा के
गिरधारी की।।




16 टिप्‍पणियां:

  1. हां प्यार है उनसे
    जैसे
    चांद को चादनी से
    फूलों को खुशबू से
    सागर को लहरों से

    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  2. साधना जी
    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति एवम प्रस्तुति
    बधाई

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  3. यह बिम्म्ब अच्छा है
    ऐ हवा
    ले जा
    संदेशा मेरे प्यार का
    ले आ
    संदेशा उनके प्यार का
    कह दे मैं हूं मीरा
    मेरे श्याम की
    राधा के
    गिरधारी की।।

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  4. सुन्दर रचना है ! लिखते रहिये ! बधाई !

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  5. आप सभी का हार्दिक धन्यवाद मेरे ब्लॉक पर आकर टिप्पणी देने के लिए धन्यवाद।

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  6. क्या ज़िंदा हूं मैं
    के बाद
    हवाओं के नाम
    प्यार का इज़हार
    अच्छा लगा।

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  7. /////////////////////////////////////
    उपमाओं की छटा देखकर मन मेरा हर्षा है।
    महा-प्रेम की इस रचना में अति निर्मल वर्षा है॥
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
    ///////////////////////////////////

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  8. वहुत प्यारी रचना लगी आपके
    भाव सुन्दर हैं

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  9. धन्यवाद राजीव जी ब्लाक पर आने तथा टिप्पणी देने के लिए।

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  10. मृदुला जी आपका बहुत धन्यवाद।

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